Saturday, June 24, 2023

बाल शिक्षा को संवारती आगरा की अनंत वेलफ़ेयर सोसाइटी

अनंत वेलफेयर सोसाइटी एक प्रयास है गरीब असहाय, अशिक्षित एवं आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का , यहाँ बिना किसी भेद भाव ऊंच नीच अथवा अन्य किसी असमानता का आकलन किए हर वर्ग के बच्चों के लिए शिक्षा के दरवाजे खुले हैं  |

यह संस्था उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में सक्रिय है , समाज के अंतिम पायदान पर खड़े आगरा के क्षेत्रीय इलाकों के वो बच्चे यहाँ शिक्षा पा रहे हैं जिनके पापा रिक्शा चलाते हैं तो मम्मी कपड़े धोती हैं | आर्थिक रूप से अक्षम उन परिवार के बच्चे जो अक्सर हमारे समाज में आपको किसी नुक्कड़ चौराहे पर भीख मांगते दिख जाएँगे या फिर स्वाभिमान के साथ काम करते हुए किसी चाय की दुकान अथवा होटल में छोटू के रूप में बाल मजदूरी को बढ़ावा देते हुए ठीक ऐसे ही बच्चों को शैक्षिक सहारा दे रही है अनंत वेल फेयर सोसाइटी |


यह संस्था न सिर्फ बच्चों को साक्षर बनाती है बल्कि अधिक दिलचस्पी और लगन से पढ़ने और विषयों को सीखने की समझ रखने वाले बच्चों की उच्चय शिक्षा का भी पूरा प्रबंध करने के लिए उन्हें आगरा के बेहतरीन स्कूलों में दाखिल दिलवाती है जिसकी मासिक स्कूल फीस आदि का पूरा खर्च संस्था स्वयं वहन करती है |   

आज इस संस्था के पढ़ाए तमाम बच्चे तथाकथित बड़े स्कूलों में 90% से अधिक अंक ला कर नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं |

जो काम प्राथमिक सरकारी विद्यालयों का है, उस काम को अ-सरकारी तथा असरकारी तरह से निभा रहा है आगरा का यह संस्थान   

सितंबर 2017 में रजिस्टर्ड 7 सदस्यों की इस सोसाइटी की न सिर्फ कल्पना करने वाली बल्कि इसको नए आयाम देने वाली निधि गिल आगरा कि निवासी हैं | उन्होंने विशेष बात चीत में हमें बताया कि भारत सरकार के नीति दर्पण मे पंजीकृत इस संस्था का नाम मैंने अपने पिता अनंत गिल के नाम पर रक्खा और अनंत चौदस पर उनका जन्म हुआ जिसके कारण उनका नाम अनंत पड़ा, मुख्यता शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय इस सोसाइटी कि संकल्पना का आधार मेरे निजी जीवन से जुड़ा है, मैं समाज के लिए कुछ करना चाहती थी और भावी पीढ़ी को शैक्षणिक मजबूती देने से बेहतर सेवा मेरे माध्यम से भला क्या हो सकती थी इसलिए यह मार्ग चुना जिसमें मुझे पूरा पारिवारिक सहयोग प्राप्त है लेकिन इसकी शुरुवात दिल्ली में हुई थी जब मैंने 4 बच्चों को अपनी खुशी के लिए पढ़ाना शुरू किया था, फिर दिल्ली से आगरा लौट कर इस काम को व्यवस्थित तौर पर संस्था का रूप देते हुए प्रारम्भ किया , इस कार्य में अभी तक की यात्रा मे किसी तरह का सरकारी सहयोग नहीं लिया गया है | बाधाएँ तमाम आई और आती रहेंगी लेकिन अब तक संस्थान के कार्यों में किसी तरह कि रुकावटें नहीं आई हैं , समाज और मित्रों का सहयोग निरंतर मिलता रहा है फिर वो चाहें आर्थिक हो या मानसिक |

निधि ने बताया कि वो प्रतिदिन 70 से अधिक बच्चों को उनकी योग्यता के आधार पर 3 बैच में विभाजित कर पढ़ा रही हैं जिसमें लड़कियों की संख्या अधिक रहती है जिनमे कुछ शारीरिक रूप से अक्षम बच्चे भी शामिल हैं | 

बच्चों के सृजनात्मक एवं रचनात्म्क विकास के लिए हर शनिवार आर्ट क्लासेस होती हैं  जिसमें बच्चे अपने मन के भावों को कागज़ पर पेंटिंग के माध्यम से उकेरते हैं तथा उन्हें रंग बिरंगे रंगों के माध्यम से सँजोते हैं |


इसके अलावा भी होली , दिवाली , दशहरा , क्रिसमस हो या बाल दिवस , स्वतन्त्रता दिवस हो या गणतंत्र दिवस बच्चों के लिए हर कार्यक्रम का जश्न एक उत्सव की तरह मनाया जाता है जिसका पूरा खर्च जनसहयोग के माध्यम से पूर्ण होता है | 

बचपन से ही समाज के दर्द को महसूस करने वाली निधि गिल ने विज्ञान से स्नातक करने के बाद पढ़ाई भी समाज से गहराईयों से जुड़े विषय कानून और पत्रकारिता की पाई ,  इस एन.जी.ओ. की संचालिका निधि पेशे से पत्रकार रही हैं जिन्होंने जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ जर्नलिज़्म, दिल्ली से पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद 3 साल दैनिक राष्ट्रीय पत्र अमर उजाला में शिक्षा को कवर किया तथा कुछ समय आकाशवाणी में भी अपनी सेवाएँ दी |

वर्तमान मे निधि सामाजिक कार्यों के अलावा निजी जीवन में जीवन यापन के लिए आगरा में होम ट्यूशन लेती हैं , अनंत वेलफ़ेयर सोसाइटी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के अलावा उनका सपना है कि वो आगामी समय में संयुक्त रूप से एक अनाथालय तथा प्राइमरी स्तर का एक ऐसा विद्यालय खोल सकें जो शिक्षा के बाजारीकरण से दूर हो, जहाँ बड़ी संख्या में शिक्षा से वंचित बच्चे न्यूनतम शुल्क में शिक्षा पा सकें | 



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