इमेन्स आर्ट्स एंड कल्चरल सोसाइटी की ओर से शनिवार शाम, गोमती नगर विपिन खंड स्थित उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के वाल्मीकि ऑडिटोरियम में तीन नाटकों का प्रदर्शन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के वरिष्ठ रंगकर्मी सुदीप चक्रवर्ती के निर्देशन में किया गया।
उसमें संजय सहाय का लिखा “खेल”, उमाशंकर चौधरी का लिखा “अयोध्या बाबू सनक गये हैं” और सआदत हसन मंटो का लिखा “खोल दो” का मंचन किया गया। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व निदेशक देवेन्द्र राज अंकुर इस संध्या के मुख्य अतिथि थे।
नाटक “खेल” का केन्द्रीय किरदार समाज के मध्यम वर्ग का होता है। वह जीविका के लिए एक वोल्टेज स्टेबलाइजर कंपनी में सेल्समैन होता है। उसे शहर-शहर जाकर अपने विक्रेताओं से बकाया भी वसूलना पड़ता है इसलिए उसे एक शहर से दूसरे शहर रेल यात्रा करनी पड़ती है। एक बार ट्रेन लेट होने पर वह स्टेशन पर आसपास की गतिविधियों में दिलचस्पी लेने लगता है। इसके माध्यम से लेखक ने बहुत ही दिलचस्प रूप में देश की नब्ज पकड़ने का सशक्त प्रयास किया है। नाटक के माध्यम से देश के भ्रष्टाचारी नेताओं से लेकर समाज की रूढ़िवादी सोच तक पर करारा तंज कसा गया।
नाटक “अयोध्या बाबू सनक गये हैं” में दिखाया गया कि उसका केन्द्रीय पात्र एक ईमानदार ग्राम विकास अधिकारी होता है। उसकी पत्नी भी उसी पद पर कार्यरत होती है। उनके सेवा भाव को देखते हुए उनका प्रखंड, आदर्श प्रखंड के रूप में लोकप्रिय हो जाता है। नाटक में उत्तरोत्तर दिखाया गया कि आदर्शता के कारण उनके परिवार को कई बार विपरीत परिस्थितियों से भी जूझना पड़ा। इसके कारण उनका बेटा संस्कारों के विपरीत निकल जाता है। वह मां की मृत्यु की कामना करता है ताकि उसे नौकरी मिल जाए। आखिरकार उपेक्षा का शिकार मां का इंतकाल हो जाता है।
नाटक “खोल दो” में देश के विभाजन का दौर दर्शाया गया। कथानक के अनुसार बूढ़ा सिराजुद्दीन जिसकी पत्नी का इंतकाल हो जाने के बाद वह अपनी गुमशुदा बेटी सकीना की तलाश करता करता है। नाट्यांत में जब वह मिलती है वह दैहिक शोषण का शिकार होने से मानसिक रूप से बुरी तरह टूट चुकी होती है।
संस्थान के सेक्रेटरी सुदीप चक्रवर्ती ने इस अवसर पर बताया कि सोसाइटी की स्थापना नवम्बर 2002 में हुई थी। इसकी प्रेसिडेंट अर्पिता गोस्वामी और वाइस प्रेसिडेंट अमिताभ श्रीवास्तव हैं। संस्था की ओर से यह आदमी यह चूहे, अंधेर नगरी चौपट राजा, कोर्ट मार्शल, कहानी वापसी, पॉजेब, चीफ की दावत, बड़े भाई साहब, वीकेंड और डेढ़ इंच ऊपर सहित अन्य नाटकों का मंचन किया जा चुका है।
नाटक के प्रमुख पत्रों में दिव्यांशु, सुब्रत रॉय, कल्पना तिवारी, देवांश, मयूरी, , विक्रम कात्याल, वैभव कुमार ने अहम भूमिका अदा की तो वहीं शुभम गौतम ने प्रकाश संचालन, देवांश प्रसाद ने संगीत संचालन, कल्पना, निशा ने वेशभूषा और मुख्य सज्जा के दायित्वों का निर्वाह किया।
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