लुप्त हो रही लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए मुनाल संस्था द्वारा शुक्रवार शाम को वजीर हसन रोड स्थित बुद्ध बसंती सभागार में कार्यशाला का उद्घाटन किया गया जिस दौरान मुनाल संस्था के संस्थापक दशरथ सिंह बिष्ट व वीरा बिष्ट की स्मृति में लोक नृत्य व लोक गीत का मंचन किया गया |
कार्यशाला के तहत प्रशिक्षित प्रतिभागियों को गढ़वाली, कुमाऊनी, अवध, ब्रज, बुंदेली, भोजपुरी लोक गीतों का प्रशिक्षण दिया गया, प्रतिभागियों ने गढ़वाली गीत 'बोलआंदा बद्री', 'अवध का गीत सासु की बीनी दरिया रे', 'भोजपुरी अंगना न सोहे राजा' तथा 'छोटी सी किशोरी' , 'आज तो अवध में बधाई बाजे' जैसे गीतों की प्रस्तुति से समा बांधा |
लोक गायन की कार्यशाला यशभारती सम्मानित वरिष्ठ लोक गायिका ऋचा जोशी के संयोजन में हुई तो वहीं उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी से सम्मानित मुनालश्री विक्रम बिष्ट द्वारा लोक नृत्य का प्रशिक्षण दिया गया | कार्यशाला में सभी आयु वर्ग के प्रतिभागियों ने हिस्सा ले कर प्रशिक्षण प्राप्त किया |
मुख्य अतिथि समाजसेविका माया आनंद ने अपने विचार रखते हुए कहा इस तरह की कार्यशाला होती रहनी चाहिए जिससे हमारी संस्कृति हमारी पहचान बन सके |
संस्थान के निदेशक मुनालश्री विक्रम बिष्ट ने बताया कि उत्तराखंड के लुप्त होते राज्यपक्षी "मुनाल" के नाम पर, लुप्त होती लोक संस्कृति के संरक्षण के उद्देश्य से 1978 में मुनाल संस्था की शुरुवात की गई , जन सहयोग व संस्कृति विभाग के समर्थन के चलते वर्तमान में हर आयु वर्ग के नागरिक संस्थान के सदस्य हैं |
इस अवसर पर कार्यशाला में देवेश्वरी पवार, प्रमिला जोशी, शैलजा श्रीवास्तव, कंचन शर्मा, प्रदीप पटेल,चंदू जोशी , मधु माथुर, आशा मौर्य आदि मौजूद रहे |
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