सुमित कुमार श्रीवास्तव (वैज्ञानिक अधिकारी)
भारत वर्ष में उपच्छायी चंद्र ग्रहण दिनांक 5 मई 2023 को रात्रि में 8.45 से 1.02 बजे तक दिखाई देगा। इसे ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, साउथ/ईस्ट अमेरिका, यूरोप और सम्पूर्ण एशिया में देखा जाएगा । अगला सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर को तथा अगला चंद्र ग्रहण दिनांक 29 अक्टूबर 2023 को आंशिक चंद्र ग्रहण होगा ।
चंद्रमा पृथ्वी का एक एकलौता प्राकृतिक उपग्रह है, जिसे आसानी से पृथ्वी से रात के समय देखा जा सकता है और करीब होने के कारण रात्रि आकाश का सबसे चमकदार पिंड होता है। चंद्रमा की अपनी स्वयं की कोई रोशनी नहीं होती है और यह सूर्य की रोशनी से ही प्रकाशमान होता है । पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और उसी तरह से चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए सूर्य की परिक्रमा करता है। चंद्रमा का परिक्रमा पथ पृथ्वी के तल से लगभग 5° झुका हुआ है ।इन तीनों पिंडो के एक दूसरे की परिक्रमा करने के कारण कभी कभी तीनों पिंड एक सीधी रेखा में और एक ही तल संरेखित हो जाते है। इस स्थिति को सिज्गी (Syzgee) की स्थिति कहते है । इस स्थिति में या तो सूर्य ग्रहण की खगोलीय घटना घटित होती है या चंद्र ग्रहण की खगोलीय घटना घटित होती है ।
चंद्र ग्रहण में सूर्य एवम् चंद्रमा के मध्य पृथ्वी आ जाती है जिसके फलस्वरूप पृथ्वी की छाया पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पर पड़ती है । जिससे चंद्रमा की रोशनी क्षीण होती नजर आती है या प्रकाश के पृथ्वी के वायुमंडल से प्रकीर्णन के कारण सुर्ख लाल रंग का चंद्रमा भी नजर आता है ।
सूर्य पृथ्वी से 109 गुना बड़ा है और गोल है इसलिए पृथ्वी की परछाई दो शंकु बनाती है। इस प्रकार पृथ्वी की छाया भी दो प्रकार की होती है ।
1. अंब्रा या मुख्य छाया या प्रच्छाया 2. पेनंब्रा या उपच्छाया
पृथ्वी की मुख्य छाया शंकु के आकार का अंधकार मय क्षेत्र होता है। छाया के अंदर और सबसे गाढ़ा भाग है, जहां प्रकाश स्रोत पूरी तरह से उस पिण्ड या वस्तु से अवरुद्ध है। यदि इस छाया के संपर्क में चंद्रमा आता है तो आंशिक या पूर्ण चंद्रग्रहण लगता है ।
जबकि पेनंब्रल या उपच्छाया, वह क्षेत्र है जिसमें प्रकाश स्रोत केवल आंशिक रूप से ढका होता है। इसका क्षेत्रफल अम्ब्रा के क्षेत्रफल से बड़ा होता है। पेनंब्रा अम्ब्रा को चारों और से घेरा होता है । हल्की छाया वाला क्षेत्र पेनंब्रा क्षेत्र होता है । ग्रहण लगते समय चंद्रमा हमेशा पश्चिम की ओर से पृथ्वी की प्रच्छाया (Umbra) में प्रवेश करता है इसलिए सबसे पहले इसके पूर्वी भाग में ग्रहण लगता है और यह ग्रहण सरकते हुए पूर्व की ओर से निकल कर बाहर चला जाता है।
उपच्छायी चंद्रग्रहण में चंद्रमा के प्रकाश में नग्न आंखों से कोई अंतर दिखाई नही देता । इस घटना को रिकॉर्ड करने के लिए वैज्ञानिक फोटोमेट्री मैथड का प्रयोग करते है और प्रकाश के छोटे छोटे अणुओं या फोटोंस की संख्या,ग्रहण से पूर्व तथा ग्रहण के समय, को काउंट कर तथा तुलना कर के ये बताते है कि ग्रहण में कितने प्रतिशत प्रकाश कम हुआ है । चूंकि प्रकाश कम होने का प्रतिशत बहुत ही ज्यादा कम होता है अतः जन सामान्य को नग्न आंखों से चंद्रमा के प्रकाश में कोई परिवर्तन नहीं दिखाई देता है।
ज्योतिष में भी इस प्रकार के ग्रहण का कोई सूतक नहीं माना जाता । अगला पेनंबरल चंद्र ग्रहण 24 - 25 मार्च 2024 तथा 20-21 फरवरी 2027 को घटित होगा ।
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