पंचनद: चंबल के बीहड़ों में चंबल विद्यापीठ परिवार द्वारा आयोजित ‘पंचनद क्रिकेट चैंपियनशिप’ के दूसरे दिन दो मुकाबले खेले गए। पहले सत्र में हिम्मतपुर और कंजौसा की टीमों के बीच मैच हुआ। कंजौसा टीम ने टास जीतकर गेंदबाजी का फैसला लिया। बल्लेबाजी करने उतरी हिम्मतपुर टीम 12 ओवर में 8 विकेट के नुकसान से 84 रन बनाए। हिम्मतपुर टीम के खिलाड़ी संदीप ने सर्वाधिक 17 रन बनाए।
जवाब में उतरी कंजौसा टीम ने 9.3 ओवर में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए 3 विकेट के नुकसान पर 85 रन बनाकर जीत हासिल की। कंजौसा टीम के मुकेश ने सर्वाधिक 32 रन बनाए। कंजौसा टीम के खिलाडी अमित 14 रन बनाकर और 2 विकेट लेकर मैन आफ द मैच रहे। आयोजन समिति से जुड़े अशर्फी पाल और कपिल तिवारी ने अमित को ट्राफी प्रदान की।
दूसरी पाली में निनावली और माधौगढ़ टीमों के बीच मुकाबला हुआ। इन मैचों में एम्पायर की जिम्मेदारी शशिकांत और सुरजीत ने निभाई। स्कोर बुक आशीष दुबे ने संभाली।
यह प्रतियोगिता 1857 के क्रांतिकारियों की स्मृति में हो रही है। दूसरे दिन की शुरुआत कराते हुए क्रांतिकारी लेखक डॉ शाह आलम राना ने चंबल अंचल के इटावा जनपद में 1857 के महान क्रांति योद्धा गंधर्व सिंह चौहान का जिक्र करते हुए कहा कि वे इटावा जिले के यमुना-चंबल दोआबा के राजपुर गांव के निवासी थे। क्रांतिवीर गंधर्व सिंह 1857 की क्रांति में उन्होंने प्रारंभ से लेकर अक्टूबर 1858 तक सक्रिय भागीदारी की। 1858 में जिस समय उन्हें 10 वर्ष का कारावास का दण्ड देकर कालापानी भेजा गया, उस समय उनकी आयु 57 वर्ष थी। वे अनेकों युद्धों में परखे हुए वीर थे। उन्होंने निरंजन सिंह चौहान के साथ कानपुर, भोगिनीपुर, चरखारी, कालपी, ग्वालियर आदि के युद्धों में अपना कौशल दिखाया था। 13 दिसम्बर 1857 को क्रांतिकारियों ने जब इटावा पर अधिकार किया था, उस समय उस लड़ाई में उनकी अग्रिम भूमिका रही। गोहानी, चकरनगर, सहसों की लड़ाईयों में भी उन्होंने बड़ा पराक्रम दिखाया था। उनके खिलाफ प्रकरण में निर्णय देते हुए ह्यूम ने लिखा कि अपने गांव राजपुर को 50 मील के घेरे में अंग्रेजी फौजों के खिलाफ लड़े गए हर युद्ध में हिस्सा लिया।
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