Friday, July 22, 2022

कल कानपुर विश्वविद्यालय में होगा भव्य गाथा महोत्सव 2022, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य करेंगे उद्घाटन

कानपुर: छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में रविवार को साहित्य, कला, संस्कृति का भव्य आयोजन  गाथा महोत्सव 2022 का आयोजन किया जाएगा। विश्वविद्यालय के सभागार में होने वाले इस कार्यक्रम में साहित्य और बॉलीवुड के नामचीन भी शिरकत कर रहे हैं। 


विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एकेडमिक भवन में शुक्रवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में गाथा के को-फाउंडर अमित तिवारी ने बताया कि रविवार को होने वाले इस कार्यक्रम में आई.आई.टी. कानपुर, सीएसजेएमयू  के सहयोग से गाथा महोत्सव 2022 आयोजित किया जा रहा है। महोत्सव का उद्घाटन डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे। इसके साथ आई.आई.टी के डायरेक्टर प्रो. अभय करंदीकर और सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे। विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. विशाल शर्मा ने बताया कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक की प्रेरणा से विश्वविद्यालय में कला,  संस्कृति एवं साहित्य का एक भव्य कार्यक्रम हो रहा है। इस महोत्सव में कवि सम्मेलन, ओपन माइक, दास्तान ए आम, किस्सा कलाम, पैनल चर्चा तथा एन आर्केस्ट्रा ऑफ स्टोरीज जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे, जिनमें कई नामचीन साहित्यकार, लेखक, कवि तथा बॉलीवुड कलाकार अपनी कहानियों, रचनाओं तथा कविताओं के माध्यम से भारतीय साहित्य, कला और संस्कृति के बारे में प्रस्तुति देंगें।  कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार यादव ने गाथा महोत्सव को समाज के लिए प्रेरणादायी बताते हुए सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर डॉ. योगेंद्र पांडे, डॉ. ओम शंकर गुप्ता, डॉ. दिवाकर अवस्थी, डॉ. रश्मि गौतम, डॉ जितेन्द्र डबराल आदि उपस्थित रहे। 

ओपन माइक में यूनिवर्सिटी के छात्र भी

महोत्सव में ओपन माइक सत्र में सीएसजेमएयू के छात्र-छात्राओं को भी अपनी रचनाओं को प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा। ओपन माइक के लिए सैंकड़ों की संख्या में एंट्री प्राप्त हुई थी, जिसमें से बेस्ट 7 को चुना गया  है। 

को-फाउंडर अमित तिवारी ने बताया कि गाथा एक ऐसा ऑनलाइन ऑडियों प्लेटफॉर्म है, जिसके माध्यम से हम भारतीय साहित्य से जुड़ी कहानियों, कविताओं, किस्सों को सुन सकते है तथा पुराने कवियों और सहित्यकारों की रचनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि गाथा एप के माध्यम से तकनीक और साहित्य साथ मिलकर भारत की संस्कृति से जुड़ी बातों को ऑडियो के रुप में लाने का एक प्रयास है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगो को भारतीय कल्चर के बारे में बताया जा सके और इसे वैश्विक पटल पर लाया जा सके।





Saturday, July 16, 2022

शिक्षा को आनंद दायक बना रही अनंत वेलफेयर सोसाइटी

अनंत वेलफेयर सोसाइटी एक प्रयास है गरीब असहाय, अशिक्षित एवं आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का , यहाँ बिना किसी भेद भाव ऊंच नीच अथवा अन्य किसी असमानता का आकलन किए हर वर्ग के बच्चों के लिए शिक्षा के दरवाजे खुले हैं  |

यह संस्था उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में सक्रिय है , समाज के अंतिम पायदान पर खड़े आगरा के क्षेत्रीय इलाकों के वो बच्चे यहाँ शिक्षा पा रहे हैं जिनके पापा रिक्शा चलाते हैं तो मम्मी कपड़े धोती हैं | आर्थिक रूप से अक्षम उन परिवार के बच्चे जो अक्सर हमारे समाज में आपको किसी नुक्कड़ चौराहे पर भीख मांगते दिख जाएँगे या फिर स्वाभिमान के साथ काम करते हुए किसी चाय की दुकान अथवा होटल में छोटू के रूप में बाल मजदूरी को बढ़ावा देते हुए ठीक ऐसे ही बच्चों को शैक्षिक सहारा दे रही है अनंत वेल फेयर सोसाइटी |


यह संस्था न सिर्फ बच्चों को साक्षर बनाती है बल्कि अधिक दिलचस्पी और लगन से पढ़ने और विषयों को सीखने की समझ रखने वाले बच्चों की उच्चय शिक्षा का भी पूरा प्रबंध करने के लिए उन्हें आगरा के बेहतरीन स्कूलों में दाखिल दिलवाती है जिसकी मासिक स्कूल फीस आदि का पूरा खर्च संस्था स्वयं वहन करती है |   

आज इस संस्था के पढ़ाए तमाम बच्चे तथाकथित बड़े स्कूलों में 90% से अधिक अंक ला कर नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं |

जो काम प्राथमिक सरकारी विद्यालयों का है, उस काम को अ-सरकारी तथा असरकारी तरह से निभा रहा है आगरा का यह संस्थान   

सितंबर 2017 में रजिस्टर्ड 7 सदस्यों की इस सोसाइटी की न सिर्फ कल्पना करने वाली बल्कि इसको नए आयाम देने वाली निधि गिल आगरा कि निवासी हैं | उन्होंने विशेष बात चीत में हमें बताया कि भारत सरकार के नीति दर्पण मे पंजीकृत इस संस्था का नाम मैंने अपने पिता अनंत गिल के नाम पर रक्खा और अनंत चौदस पर उनका जन्म हुआ जिसके कारण उनका नाम अनंत पड़ा, मुख्यता शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय इस सोसाइटी कि संकल्पना का आधार मेरे निजी जीवन से जुड़ा है, मैं समाज के लिए कुछ करना चाहती थी और भावी पीढ़ी को शैक्षणिक मजबूती देने से बेहतर सेवा मेरे माध्यम से भला क्या हो सकती थी इसलिए यह मार्ग चुना जिसमें मुझे पूरा पारिवारिक सहयोग प्राप्त है लेकिन इसकी शुरुवात दिल्ली में हुई थी जब मैंने 4 बच्चों को अपनी खुशी के लिए पढ़ाना शुरू किया था, फिर दिल्ली से आगरा लौट कर इस काम को व्यवस्थित तौर पर संस्था का रूप देते हुए प्रारम्भ किया , इस कार्य में अभी तक की यात्रा मे किसी तरह का सरकारी सहयोग नहीं लिया गया है | बाधाएँ तमाम आई और आती रहेंगी लेकिन अब तक संस्थान के कार्यों में किसी तरह कि रुकावटें नहीं आई हैं , समाज और मित्रों का सहयोग निरंतर मिलता रहा है फिर वो चाहें आर्थिक हो या मानसिक |

निधि ने बताया कि वो प्रतिदिन 70 से अधिक बच्चों को उनकी योग्यता के आधार पर 3 बैच में विभाजित कर पढ़ा रही हैं जिसमें लड़कियों की संख्या अधिक रहती है जिनमे कुछ शारीरिक रूप से अक्षम बच्चे भी शामिल हैं | 

बच्चों के सृजनात्मक एवं रचनात्म्क विकास के लिए हर शनिवार आर्ट क्लासेस होती हैं  जिसमें बच्चे अपने मन के भावों को कागज़ पर पेंटिंग के माध्यम से उकेरते हैं तथा उन्हें रंग बिरंगे रंगों के माध्यम से सँजोते हैं 

इसके अलावा भी होली , दिवाली , दशहरा , क्रिसमस हो या बाल दिवस , स्वतन्त्रता दिवस हो या गणतंत्र दिवस बच्चों के लिए हर कार्यक्रम का जश्न एक उत्सव की तरह मनाया जाता है जिसका पूरा खर्च जनसहयोग के माध्यम से पूर्ण होता है |


बचपन से ही समाज के दर्द को महसूस करने वाली निधि गिल ने विज्ञान से स्नातक करने के बाद पढ़ाई भी समाज से गहराईयों से जुड़े विषय कानून और पत्रकारिता की पाई ,  इस एन.जी.ओ. की संचालिका निधि पेशे से पत्रकार रही हैं जिन्होंने जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ जर्नलिज़्म, दिल्ली से पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद 3 साल दैनिक राष्ट्रीय पत्र अमर उजाला में शिक्षा को कवर किया तथा कुछ समय आकाशवाणी में भी अपनी सेवाएँ दी |

वर्तमान मे निधि सामाजिक कार्यों के अलावा निजी जीवन में जीवन यापन के लिए आगरा में होम ट्यूशन लेती हैं , अनंत वेलफ़ेयर सोसाइटी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के अलावा उनका सपना है कि वो आगामी समय में संयुक्त रूप से एक अनाथालय तथा प्राइमरी स्तर का एक ऐसा विद्यालय खोल सकें जो शिक्षा के बाजारीकरण से दूर हो, जहाँ बड़ी संख्या में शिक्षा से वंचित बच्चे न्यूनतम शुल्क में शिक्षा पा सकें | 




बंगाल के गवर्नर NDA के उपराष्ट्रपति कैंडिडेट:झुंझुनू के जगदीप धनखड़ को भाजपा ने बनाया उपराष्ट्रपति उम्मीदवार, 11 साल कांग्रेस में रहे

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ NDA की तरफ से उप राष्ट्रपति उम्मीदवार होंगे। धनखड़ राजस्थान के झुंझुनू के रहने वाले हैं। दिल्ली में भाजपा संसदीय बोर्ड की मीटिंग में यह फैसला हुआ। इसके बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने धनखड़ के नाम का ऐलान किया। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्‌डा समेत तमाम नेता शामिल हुए।

धनखड़ को NDA का उपराष्ट्रपति उम्मीदवार चुने जाने के बाद PM नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, "खुशी है कि जगदीप धनखड़ हमारे (NDA) के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे। मुझे यकीन है कि वे राज्यसभा में उत्कृष्ट अध्यक्ष होंगे और राष्ट्रीय प्रगति को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सदन की कार्यवाही का मार्गदर्शन करेंगे।" वहीं धनखड़ ने उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने पर प्रधानमंत्री का आभार जताया है।

राजस्थान के जाट नेता हैं धनखड़
भाजपा के जाट नेता राजस्थान के रहने वाले हैं। 70 साल के जगदीप धनखड़ को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 30 जुलाई 2019 को बंगाल का 28वां राज्यपाल नियुक्त किया था। वे 1989 से 1991 तक राजस्थान के झुंझुनू से लोकसभा सांसद रहे। 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे।

जब धनखड़ बोले- मैं बैठने वाला गवर्नर नहीं
बंगाल का राज्यपाल रहते हुए जगदीप धनखड़ और ममता बनर्जी के बीच कई बार तल्खियां सामने आ चुकी है। बंगाल चुनाव के बाद राज्य में हुए राजनीतिक हिंसा के लिए सीधेतौर पर उन्होंने ममता सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया था। 21 जून 2021 को उत्तर बंगाल दौरे के समय उन्होंने कहा था कि लोग मारे जा रहे हैं। ऐसे में मैं गवर्नर हाउस में बैठने वाला नहीं हूं।

PM की मीटिंग में शामिल न होने पर ममता को झूठा कहा था
जगदीप धनखड़ ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को झूठा कहा था। दरअसल, यास तूफान से हुए नुकसान के रिव्यू के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल में बैठक की थी। इसमें ममता नहीं पहुंचीं थीं।

धनखड़ ने ट्वीट किया था- ममता बनर्जी ने 27 मई को रात सवा ग्यारह बजे मुझे मैसेज किया था। उन्होंने कहा था कि क्या मैं आपसे अभी बात कर सकती हूं? अर्जेंट है। धनखड़ ने कहा था कि ममता ने फोन पर इस बात के संकेत दिए कि PM की मीटिंग में वो और उनके अधिकारी नहीं जाएंगे।

जनता की सेवा के ऊपर उनका अहंकार हावी हो गया। झूठी बातों से मजबूर होकर मैंने पूरा रिकॉर्ड सामने रख दिया है। इस पर बैठक से गायब होने की जो वजह उन्होंने बताई, वो झूठी है।

TMC ने धनखड़ को पद से हटाने की मांग की थी
धनखड़ और TMC के बीच जारी टकराव इतना बढ़ चुका था कि पिछले साल दिसंबर में TMC के 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर धनखड़ को हटाने की सिफारिश की थी। TMC ने कहा था- संविधान की धारा 156 की उपधारा 1 के तहत हमने राज्यपाल को हटाने की अपील की है, क्योंकि उन्होंने संविधान का पालन नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी नहीं माना, लेकिन उन्हें नहीं हटाया गया।

चार रिश्तेदारों को OSD बनाने पर उठा था विवाद
TMC ने जगदीप धनखड़ पर आरोप लगाया था कि राजभवन में उन्होंने अपने 4 रिश्तेदारों को OSD बना दिया है। पूरे राजभवन को BJP ऑफिस में तब्दील कर दिया है। जनता के पैसों से खाना-पीना चल रहा है। जैसे-जैसे रात होती जाती है, वैसे-वैसे उनके ट्वीट भी बढ़ते जाते हैं। वे राजभवन में कारोबारियों से मिलते हैं। उन्होंने अपने पद की गरिमा गंवा दी। ये पूरा राज्य जानता है कि, वे BJP के एजेंट के तौर पर बंगाल में काम कर रहे हैं।

बंगाल में जब आमने-सामने आए ममता और धनखड़

  • डीजीपी वीरेंद्र की नियुक्ति: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने 2021 में DGP पद पर IPS वीरेंद्र की नियुक्ति पर सवाल उठाया था। उन्होंने इसकी रिपोर्ट मांगी थी।
  • हावड़ा में हिंसा: नूपुर शर्मा के बयान के बाद बंगाल में कई जगह हिंसक घटनाएं हुईं। इसके बाद धनखड़ ने ट्वीट किया था- बिगड़ती कानून-व्यवस्था से चिंतित हूं। पश्चिम बंगाल के निष्क्रिय मुख्य सचिव, बंगाल पुलिस और कोलकाता पुलिस दुर्भाग्यपूर्ण रूप से कानून का उल्लंघन करने वालों का समर्थन करती हैं।

नकवी को कैंडिडेट बनाने की अटकलें थीं
इससे पहले, छह जुलाई को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कैबिनेट से इस्तीफा दिया था। उनका राज्यसभा कार्यकाल गुरुवार 7 जुलाई को खत्म हो रहा था। इस्तीफे के बाद से नकवी को उपराष्ट्रपति कैंडिडेट बनाए जाने की चर्चा थी। नकवी को भाजपा ने पिछले दिनों हुए राज्यसभा के चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाया था, तब से ही कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी उन्हें किसी बड़ी भूमिका में लाना चाहती है।

उपराष्ट्रपति चुनाव का कार्यक्रम

  • 19 जुलाई: नामांकन की आखिरी तारीख
  • 6 अगस्त: वोटिंग
  • 6 अगस्त: काउंटिंग और रिजल्ट

Central Vista Ashok Stambh: जानते हैं किसने गढ़ा नई संसद की छत पर बनाए गए अशोक स्तंभ को

 

दिल्ली में नई संसद भवन की छत पर बने राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सेंट्रल विस्टा की छत पर स्थापित किए गए इस राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। जानें कौन हैं शेरों को नया उग्र रूप गढ़ने वाले।



मूर्ति शिल्पियों लक्ष्मण व्यास और सुनील देवड़े ने गढ़ा है उस अशोक स्तंभ को, जिसे देश की नई संसद की छत पर स्थापित किया गया है। इस अशोक स्तंभ के अलग-अलग भागों को दिल्ली, जयपुर और औरंगाबाद में लक्ष्मण व्यास और सुनील देवड़े ने अपने-अपने स्टूडियो में बनाया। दरअसल नई संसद के निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट टाटा ग्रुप को मिला है। उसकी तरफ से लक्ष्मण व्यास तथा सुनील देवड़े को अशोक स्तंभ बनाने का दायित्व मिला था। ये बेहद खास प्रोजेक्ट दो मूर्तिकारों को इसलिए दिया गया क्योंकि ये वास्तव में बड़ा काम था। भारत के चोटी के मूर्तिशिल्पी राम सूतार की तरफ से भी अशोक स्तंभ के निर्माण करने की इच्छा जताई गई थी। पर उन्हें यह अहम काम नहीं मिल सका। महान मूर्तिशिल्पी राम सूतार के पुत्र और स्वय़ं सिद्ध मूर्तिशिल्पी अनिल सूतार ने कहा कि जो राष्ट्रीय चिह्न संसद भवन में स्थापित हुआ है, वह उस अशोक बहुत स्तंभ से अलग है जो सारनाथ के संग्रहालय में है। संसद में लगे अशोक स्तंभ में शेरों के भाव बिल्कुल अलग दिख रहे हैं।
अगर बात राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ से हटकर करें तो सुनील देवड़े तथा लक्ष्मण व्यास पहले भी कई महत्वपूर्ण प्रतिमाएं बना चुके हैं। व्यास ने हरियाणा के पलवल में लगी महाराणा प्रताप की विशाल धातु प्रतिमा भी है। इसके अलावा, उन्होंने परशुराम जी की आदमकद प्रतिमाएं भी बनाई हैं। लक्ष्मण व्यास ने ही इंदिरा गांधी इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर हाथियों की कुछ मूरतें भी बनाईं हैं। राम किंकर और देवीप्रसाद राय चौधरी जैसे मूर्ति शिल्पियों के काम से प्रभावित 46 साल के लक्ष्मण व्यास ने अभी तक करीब 300 आदमकदम और धड़ प्रतिमाएं बनाई हैं। इसके अलावा बहुत से प्रतीकों की भी मूर्तियां बना चुके हैं। राजधानी में स्थापित ग्यारह मूर्ति को महान मूर्तिकार देवीप्रसाद राय चौधरी ने बनाया था। उनका चित्रकला और मूर्तिकला, दोनों विषयों पर समान अधिकार था। वे ओरियंटल आर्ट स्कूल (कोलकाता) से शिक्षा ग्रहण कर वहीं शिक्षक बन गये। इसी तरह से राम किंकर ने रिजर्व बैंक बिल्डिंग के बाहर लगी यक्ष और यक्षिणी की अप्रतिम मूर्तियों को बनाय़ा था। रामकिंकर ने कंक्रीट, मिट्टी, प्लास्टर ऑफ पेरिस और अन्य उपलब्ध संसाधनों से आकर्षक मूर्तियां तैयार कीं।

किससे प्रेरित अतुल्नीय मूर्तिकार

मुंबई के जे.जे. स्कूल आफ आर्ट्स में पढ़े सुनील देवड़े उस वक्त मौजूद थे जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अशोक स्तंभ देश के सामने प्रस्तुत किया। उन्होंने अजंता-एलोरा की गुफाओं पर कई अतुल्नीय प्रतिमाएं बनाई हैं। ये अजंता एलोरा के विजिटर्स सेंटर पर रखी हैं। उनके काम पर महाराष्ट्र के महान मूर्तिकार सदाशिव साठे का असर दिखाई देता है। सदाशिव साठे ने देश के महापुरुषों की अनेक प्रतिमाएं बनाईं। महात्मा गांधी की शहादत के करीब तीन वर्षों के बाद सरकार ने मुंबई के मूर्तिशिल्पी सदाशिवराव साठे को राष्ट्रपिता की एक आदमकद प्रतिमा को बनाने का जिम्मा सौंपा। इस मूरत को राजधानी के चांदनी चौक स्थित टाउन हॉल के बाहर स्थापित किया था। यह प्रतिमा 1952 में स्थापित हुई थी। गांधी जी की देश या राजधानी में लगी संभवत: यह पहली आदमकद प्रतिमा है। इस मूर्ति में भाव और गति का कमाल का संगम देखने को मिलता है।

श्रीलंकाः भारत पहल करे - डॉ. वेदप्रताप वैदिक


डॉ. वेदप्रताप वैदिक

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्ष ने घोषणा की थी कि वे 13 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा देंगे लेकिन अभी तक वे श्रीलंका से भागकर कहां छिप रहे हैं, इसी का ठीक से पता नहीं चल रहा है। कभी कहा जा रहा है कि वे मालदीव पहुंच गए हैं और अब वहां से वे मलेशिया या सिंगापुर या दुबई में शरण लेंगे। इधर श्रीलंका में प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघ अपने आप कार्यवाहक राष्ट्रपति बन गए हैं। उन्हें किसने कार्यवाहक राष्ट्रपति बना दिया है, यह भी पता नहीं चला है। वैसे माना जा रहा था कि उन्होंने भी प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। वे कहां से राज चला रहे हैं, यह भी नहीं बताया गया है। राष्ट्रपति भवन में जनता ने कब्जा कर रखा है और रनिल के घर को भी जला दिया गया है। रनिल विक्रमसिंघ को श्रीलंका में कौन कार्यवाहक राष्ट्रपति के तौर पर स्वीकार करेगा? अब तो श्रीलंकाई संसद ही राष्ट्रपति का चुनाव करेगी लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस संसद की कीमत ही क्या रह गई है? राजपक्ष की पार्टी की बहुमतवाली संसद को अब श्रीलंका की जनता कैसे बर्दाश्त करेगी? विरोध पक्ष के नेता सजित प्रेमदास ने दावा किया है कि वे अगले राष्ट्रपति की जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं लेकिन 225 सदस्यों की संसद में राजपक्ष की सत्तारुढ़ पार्टी की 145 सीटें हैं और प्रेमदास की पार्टी की सिर्फ 54 सीटें हैं। यदि प्रेमदास को सभी विरोधी दल अपना समर्थन दे दें तब भी वे बहुमत से राष्ट्रपति नहीं बन सकते। सजित काफी मुंहफट नेता हैं। उनके पिता रणसिंह प्रेमदास भी श्रीलंका के प्रधानमंत्री रहे हैं। उनके साथ यात्रा करने और कटु संवाद करने का अवसर मुझे कोलंबो और अनुराधपुरा में मिला है। वे भयंकर भारत-विरोधी थे। इस समय सबको पता है कि भारत की मदद के बिना श्रीलंका का उद्धार असंभव है। यदि सजित प्रेमदास संयत रहेंगे और सत्तारुढ़ दल के 42 बागी सांसद उनका साथ देने को तैयार हो जाएं तो वे राष्ट्रपति का पद संभाल सकते हैं लेकिन राष्ट्रपति बदलने पर श्रीलंका के हालत बदल जाएंगे, यह सोचना निराधार है। सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि इन बुरे दिनों में श्रीलंका की प्रचुर सहायता के लिए चीन आगे क्यों नहीं आ रहा है? राजपक्ष परिवार तो पूरी तरह चीन की गोद में ही बैठ गया था। चीन के चलते ही श्रीलंका विदेशी कर्ज में डूबा है। चीन की वजह से अमेरिका ने चुप्पी साध रखी है। लेकिन भारत सरकार का रवैया बहुत ही रचनात्मक है। वह कोलंबो को ढेरों अनाज और डाॅलर भिजवा रहा है। भारत जो कर रहा है, वह तो ठीक ही है लेकिन यह भी जरुरी है कि वह राजनीतिक तौर पर जरा सक्रियता दिखाए। जैसे उसने सिंहल-तमिल द्वंद्व खत्म कराने में सक्रियता दिखाई थी, वैसे ही इस समय वह कोलंबो में सर्वसमावेशी सरकार बनवाने की कोशिश करे तो वह सचमुच उत्तम पड़ौसी की भूमिका निभाएगा। ज़रा याद करें कि इंदिराजी ने 1971 में प्रधानमंत्री श्रीमावो बंदारनायक के निवेदन पर रातोंरात उनको तख्ता-पलट से बचाने के लिए केरल से अपनी फ़ौजें कोलंबो भेज दी थीं और राजीव गांधी ने 1987 में भारतीय शांति सेना को कोलंबो भेजा था।

लखनऊ के जिस मॉल में नमाज पर है बवाल, जानें कहां से आया उसका नाम 'LuLu'


लखनऊ के लुलु मॉल का उद्घाटन सीएम योगी आदित्यनाथ ने 11 जुलाई को किया था. यह भारत का सबसे बड़ा शापिंग मॉल है, जो लगातार चर्चा में बना हुआ है. वहीं, लुलु मॉल में नमाज पढ़ने को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है.


उत्तर प्रदेश की राजधानी में जब से लुलु मॉल खुला है तब से वो सुर्खियों में बना हुआ है. लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी में 11 एकड़ में करीब 2 हजार करोड़ रुपये की लागत से बना देश का सबसे बड़ा शापिंग मॉल खुलने से पहले अपने स्ट्रक्चर और खूबसूरती को लेकर चर्चाओं में था, लेकिन अब मॉल में नमाज पढ़ने और स्टाफ को लेकर विवाद छिड़ गया है. इसके अलावा मॉल के नाम को लेकर भी तरह-तरह के तर्क दिए जा रहे हैं.  

संसद में असंसदीय शब्दः फिजूल की बहस


डॉ. वेदप्रताप वैदिक






संसद के भाषणों में कौन-से शब्दों का इस्तेमाल सांसद लोग कर सकते हैं और कौन-से का नहीं, यह बहस ही अपने आप में फिजूल है। आपत्तिजनक शब्द कौन-कौन से हो सकते हैं, उनकी सूची 1954 से अब तक कई बार लोकसभा सचिवालय प्रकाशित करता रहा है। इस बार जो सूची छपी है, उसे लेकर कांग्रेस के नेता आरोप लगा रहे हैं कि इस सूची में ऐसे शब्दों की भरमार है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के लिए विपक्षी सांसदों द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं। जैसे जुमलाजीवी, अहंकारी, तानाशाही आदि। दूसरे शब्दों में संसद तो पूरे भारत की है लेकिन अब उसे भाजपा और मोदी की निजी संस्था का रूप दिया जा रहा है। विरोधी नेताओं का यह आरोप मोटे तौर पर सही-सा लगता है लेकिन वह अतिरंजित है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने साफ़-साफ़ कहा है कि संसद में बोले जानेवाले किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं है। सभी शब्द बोले जा सकते हैं लेकिन अध्यक्ष जिन शब्दों और वाक्यों को आपत्तिजनक समझेंगे, उन्हें वे कार्रवाई से हटवा देंगे। यदि ऐसा है तो इन शब्दों की सूची जारी करने की कोई तुक नहीं है, क्योंकि हर शब्द का अर्थ उसके आगे-पीछे के संदर्भ के साथ ही स्पष्ट होता है। इस मामले में अध्यक्ष का फैसला ही अंतिम होता है। कोई शब्द अपमानजनक या आपत्तिजनक है या नहीं, इसका फैसला न तो कोई कमेटी करती है और न ही यह मतदान से तय होता है। कई शब्दों के एक नहीं, अनेक अर्थ होते हैं। 17 वीं सदी के महाकवि भूषण की कविताओं में ऐसे अनेकार्थक शब्दों का प्रयोग देखने लायक है। भाषण देते समय वक्ता की मन्शा क्या है, इस पर निर्भर करता है कि उस शब्द का अर्थ क्या लगाया जाना चाहिए। इसी बात को अध्यक्ष ओम बिड़ला ने दोहराया है। ऐसी स्थिति में रोज़ाना प्रयोग होनेवाले सैकड़ों शब्दों को आपत्तिजनक की श्रेणी में डाल देना कहां तक उचित है? जैसे जुमलाजीवी, बालबुद्धि, शकुनि, जयचंद, चांडाल चौकड़ी, पिट्ठू, उचक्का, गुल खिलाए, दलाल, सांड, अंट-संट, तलवे चाटना आदि! यदि संसदीय सचिवालय द्वारा प्रचारित इन त​थाकथित ‘आपत्तिजनक’ शब्दों का प्रयोग न किया जाए तो संसद में कोई भी भाषण पूरा नहीं हो सकता। इसीलिए इतने सारे शब्दों की सूची जारी करना निरर्थक है। हां, सारे सांसदों से यह कहा जा सकता है कि वे अपने भाषणों में मर्यादा और शिष्टता बनाए रखें। किसी के विरुद्ध गाली-गलौज, अपमानजनक और अश्लील शब्दों का प्रयोग न करें। जिन शब्दों को ‘असंसदीय’ घोषित किया गया है, उनका प्रयोग हमारे दैनंदिन कथनोपकथन, अखबारों और टीवी चैनलों तथा साहित्यिक लेखों में बराबर होता रहता है। यदि ऐसा होता है तो क्या यह संसदीय मर्यादा का उल्लंघन नहीं माना जाएगा? इस तरह की सूची प्रकाशित करके क्या संसद अपनी प्रतिष्ठा को हास्यास्पद नहीं बना रही है? भारत को ब्रिटेन या अमेरिका की नकल करने की जरुरत नहीं है। ये राष्ट्र आपत्तिजनक शब्दों की कोई सूची जारी करते हैं तो क्या हम भी उनकी नकल करें, यह जरुरी है? इस मामले में हमारे सत्तारुढ़ और विपक्षी नेता एक फिजूल की बहस में तू-तू—मैं-मैं कर रहे हैं।

Sunday, July 10, 2022

लखनऊ के पिपराघाट पर होगा मुलायम की पत्नी साधना गुप्ता का अंतिम संस्कार, मुख्यमंत्री योगी ने किए अंतिम दर्शन

 


सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की पत्नी साधना गुप्ता का शनिवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया था। उनके पार्थिव शरीर को लखनऊ लाया गया। जिसे मुलायम के सरकारी आवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को उनके अंतिम दर्शन किए।



शनिवार शाम से ही मुलायम के आवास पर सपा कार्यकर्ताओं और उनके शुभचिंतकों का जमावड़ा शुरू हो गया। लोगों ने मुलायम परिवार के लोगों को सांत्वना दी।

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने भी रविवार को उनके अंतिम दर्शन किए। साधना गुप्ता का अंतिम संस्कार लखनऊ के पिपराघाट में दोपहर करीब दो बजे किया जाएगा।