Saturday, July 20, 2024

बाबा मस्तराम का ब्रह्मचारी आश्रम




एक बार की बात है ब्राह्मणा नंद नामक संत भ्रमण करते हुए नदी के उस किनारे पहुँचे जहाँ पर आज आश्रम है, पूर्व में वहाँ एक टीला हुआ करता था, वह उस टीले पर अपनी कुटिया बना कर रहने लगे उनके शिष्य के रूप उस समय प्रख्यात थे "करिया बाबा" जिनका असली नाम आज भी लोगों को नहीं पता है, फिर उनके शिष्य हुए श्री मतंगा नंद स्वामी जिन्होंने अपना शिष्य बनाया गोविंदा नंद स्वामी जी को जिसके बाद गोविंदा नंद जी ने अपना शिष्य बनाया था, बाबा मस्त राम जी को जिनका देहावसान वर्ष 2003 में हुआ था | यह आश्रम के अंतिम महंत थे, वर्ष 2003 में उनकी मृत्यु के बाद कोई भी व्यक्ति इस आश्रम का प्रमुख नहीं हुआ बल्कि आश्रम क्षेत्रीय ग्राम निवासियों के सहयोग से संचालित होता है, गंगा के एकांत में बसे शान्तिमय आश्रम में आज भी बाबा मस्तराम की समाधी और उनकी मूर्ति बनी हुई है |

बाबा मस्तराम ब्रह्मचारी थे वह सुभानपुर के निवासी थे , इसलिए निकट क्षेत्र में आश्रम भी "ब्रह्मचारी आश्रम" के नाम से जाना जाता है |

क्रांतिकारी मुनेश्वर अवस्थी के परिवार के लोग ज़मींदार थे, जिनमें से पंडित गया प्रसाद अवस्थी के पिता जी श्री बाबू राम अवस्थी इस आश्रम की देख रेख और कंस्ट्रक्शन का काम अपने निजी खर्चे से करवाते थे, जिसमें कि गंगा स्नान करने आने वालों के लिए एक अतिथि कक्ष और बरामदे के साथ ही एक मंदिर भी बनवाया था, जो कि समय के साथ कालग्रस्त हो गया जिसके कुछ अंश काफी समय बाद देखने को मिले थे| 

आश्रम संबंधित इन सब जानकारियों को देने वाले मंदिर के पुजारी श्री बाबा हरजिंदर दास जी वर्तमान में मोइद्दीनपुर गाँव में ही रहते हैं, अविवाहित हैं और मूलत: उसी गाँव के रहने वाले हैं | उन्होंने बताया कि इस आश्रम से गाँव वालों की मान्यता जुड़ी हुई हैं इस आश्रम और मंदिर का न तो कोई ट्रस्ट है न ही सोसाइटी अथवा संस्था, इसका संचालन सिर्फ ग्रामीणजनों के सहयोग और ईश्वर की कृपा से हो रहा है | वर्तमान में तो प्रतिदिन यहाँ सुबह शाम आरती होती है लेकिन वैसे प्रतिवर्ष कथाएं हुआ करती थी लेकिन इस वर्ष लॉकडाउन और कोविड के चलते वार्षिक कथा संभव नहीं हो पाई |






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